हनुमानगढ़ | साध्वी कनकरेखा ने कहा कि बंदी कारागृह को सुधारगृह समझें तो उनका जीवन सुखमय तरीके से व्यतीत हो सकता है। साध्वी ने यह बात रविवार को जंक्शन स्थित जिला कारागृह में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा की ओर से आयोजित नशामुक्ति, तनाव मुक्ति, अपराधमुक्त प्रवचन एवं प्रेक्षाध्यान कार्यक्रम में बंदियों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि मनुष्य क्षणिक आवेश में आकर अपराध कर बैठता है और परिणामों को उसे तो भोगना ही पड़ता है साथ ही पूरे परिवार के लिए भी यह गंभीर समस्या बन जाती है। उन्होंने कहा कि आपराधिक प्रवृत्ति का मूल कारण विवेक का अभाव है। इसलिए केवल विवेकशीलता ही मनुष्य को पशु से अलग करती है। विवेकहीन मनुष्य पशु के समान है। साध्वी संवरयशा ने कहा कि यदि मनुष्य कोई भी कार्य करने से पूर्व एक बार उसके परिणामों के बारे मेंं विचार कर ले तो वह अपराध से बच सकता है। साध्वी ने प्रेक्षाध्यान के प्रयोग करवाए। बड़ी संख्या मे बंदियों ने नशे की प्रवृत्ति के त्याग का संकल्प लिया। इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत साध्वीवृंद ने 'संयम मय हो जीवन' गीत प्रस्तुत कर की। तेरापंथी जैन सभा की ओर से जेल प्रशासन को छह कुर्सियां भेंट की। जेल उपाधीक्षक श्रीधर शर्मा ने आभार जताया। सभा के संरक्षक भगवानदास बंसल, अध्यक्ष विजय लूणावत, उपाध्यक्ष सुभाष बांठिया, सचिव अमित जैन, कोषाध्यक्ष नरेंद्र गुप्ता, जुगराज दुग्गड़ सहित आदि मौजूद थे।
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