रत्नगर्भा भारत वसुंधरा पर अनेक रत्न पैदा हुए जिन्होंने अपनी आभा से केवल भारत को ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व को आलोकित किया । आचार्य तुलसी ऐसे ही अद्भुत प्रतिभाशाली पुरुष थे जिन्होंने एक सम्प्रदाय के आचार्य होते हुए भी कभी उसकी सीमाओ में अपने आप को आबध्द नहीं किया बल्कि सम्पूर्ण मानवता के विकास का पथ प्रशस्त किया ।
आचार्य तुलसी एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे जिन्होंने व्यक्ति की अंतर बाह्य शक्तियों को उजागर कर उनके विकास का पथ प्रशस्त किया तथा एक स्वस्थ समाज जीवन के योग्य घटक बनने की योग्यता क्षमता निर्माण की प्रक्रिया दी ।
प्रस्तुत ग्रन्थ में आचार्य तुलसी का जीवन व्रत ,उनका चिंतन ,उनके द्वारा प्रारंभ किये गए विभिन्न आयामों का विश्लेषणात्मक आलेख है । जीवन के उतार च्ढ्हाव,संघर्षो में विजय प्राप्त करने के जीवन का वर्णन है ।
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