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147 वें मर्यादा महोत्सव का आगाज
09/02/11 भास्कर न्यूज & राजलदेसरby- jain terapnth news
तेरापंथ धर्मसंघ के ११ वें आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में मंगलवार को तीन दिवसीय १४७ वें मर्यादा महोत्सव का शुभारंभ हुआ।
युवा भारती स्टेडियम में सुबह 12.15 बजे आचार्य महाश्रमण द्वारा मर्यादा महोत्सव की विधिवत घोषणा से शुरू हुए महोत्सव के प्रथम दिन का शुभारंभ २५० वर्ष पूर्व आचार्य भिक्षु द्वारा लिखित मर्यादा महोत्सव की स्थापना से किया गया। इस अवसर पर मुनि दिनेशकुमार ने जयघोषों का नाद करवाया। मंगलाचरण गीतिका 'भीणजी स्वामी भारी मर्यादा बांधी संघ मेंÓ का संगान किया गया। आचार्य महाश्रमण मर्यादा महोत्सव प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष पन्नालाल बैद ने स्वागत किया। महोत्सव के प्रथम दिन सेवाकेंद्रों में सेवा के लिए एक वर्षीय नियुक्तियां की गई। इस अवसर पर आचार्य महाश्रमण ने कहा कि सेवा में यह मनोवृति रहनी चाहिए कि सेवा लेनी कम पड़े और जहां तक संभव हो सेवा ना लें। मगर दूसरों की अधिकाधिक सेवा करने का प्रयास करें। आदमी में स्वावलंबन की चेतना पुष्ट रहनी चाहिए। जहां तक संभव हो अपना काम स्वयं करें। आचार्य महाश्रमण ने कहा कि साध-साध्वियां व श्रावक-श्राविकाएं साधु की सेवा कर लोकोतर सेवा का अवसर पा सकते हैं। उन्होंने कहा कि संसार में लौकिक सेवा का भी बड़ा मूल्य है। सेवा अच्छी तभी हो सकती है, जब दूसरों की देह को अपनी देह मानकर सेवा करें।
सेवा का मूल उद्देश्य कर्म निर्जरा
साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा ने कहा कि आचार्य भिक्षु ने हमें धर्मसंघ रूपी अवदान साधना के लिए दिया था। भारत पर्वों और उत्सवों का देश है, मगर मर्यादा महोत्सव अपने आप में विलक्षण है। धर्मसंघ में सेवा एक महत्वपूर्ण कार्य है। सेवा का मूल उद्देश्य कर्म निर्जरा है। समारोह में साध्वी संघमित्रा, मुनि अक्षयप्रकाश, मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुत विभा व अणिमाश्री आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
ग्लान की सेवा ही तीर्थंकर की सेवा
आचार्य महाश्रमण ने अपने उद्गार में कहा कि तीर्थंकर कहते हैं कि जिसने ग्लान की सेवा की है वह मेरी सेवा करता है। आचार्य ने कहा कि सिंघाड़े में किसी को सेवा की आवश्यकता हो तो उनकी सेवा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रवणकुमार ने भी अपने माता-पिता को कंधे पर बैठाकर तीर्थ यात्रा करवाई। संघ में भी कई ऐसे साधु-साध्वियां हैं जिनकी सहवृती साधु-साध्वियां उन्हें यात्राएं करवाते हैं, यह भी एक प्रकार की सेवा है।
सेवाकेंद्रों पर की नियुक्तियां
१४७ वें मर्यादा महोत्सव के प्रथम दिन आचार्यवर ने सेवाकेंद्रों पर एक वर्षीय सेवा के लिए नियुक्तियां की। आचार्य महाश्रमण ने साध्वी कमलश्री, जिनरेखा, साध्वी सुमनश्री की नियुक्त की। श्रीडूंगरगढ़ सेवा केंद्र में साध्वी अणिमाश्री का सेवाकाल एक वर्ष के लिए दुबारा बढ़ाया गया। गंगाशहर सेवाकेंद्र पर कंचनकुमारी, लाडनूं व छापर सेवाकेंद्र पर मुनि सुमतिकुमार की नियुक्ति की गई। राजलदेसर सेवाकेंद्र पर विनयश्री बोरावड़ को नियुक्त किया गया।
आचार्य महाश्रमण ने किया संबोधित
समारोह के दौरान धर्मसंघ, समाज और विभिन्न क्षेत्रों में निस्वार्थ भाव से सेवाकार्यकरने वाले विभिन्न व्यक्तियों को आचार्य महाश्रमण ने शासनसेवी, श्रद्धानिष्ठ श्रावक, श्रद्धा की प्रतिमूर्ति आदि संबोधनों से संबोधित किया। ये संबोधन अलंकरण अगले वर्ष मर्यादा महोत्सव पर महासभा द्वारा प्रदान किए जाएंगे।
महासभा ने किया पुरस्कृत
मर्यादा महोत्सव के दौरान श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा कोलकाता की ओर से ज्ञानशाला पुरस्कार कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम में भारत वर्ष की सभी ज्ञानशालाओं के ज्ञानार्थियों, प्रशिक्षणार्थियों आदि ने भाग लिया। सर्वोतम ज्ञानशाला के रूप में उधना ज्ञानशाला को पुरस्कृत किया गया। इसी क्रम में उत्तर हावड़ा ज्ञानशाला व सरदारशहर ज्ञानशाला श्रेष्ठ ज्ञानशाला के रूप में चुनी गई। श्रेष्ठ ज्ञानार्थी, विज्ञ, शिशु संस्कार, श्रेष्ठ सभा, विशिष्ट सभा आदि के पुरस्कार प्रदान किए गए। मर्यादा महोत्सव प्रवास व्यवस्था समिति की तरफ से केंद्रीय संस्थाओं
के पदाधिकारियों को मोमेंटो भेंट किए गए।
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मौलिक मर्यादाओं पर टिका है धर्मसंघ
11/02/11 भास्कर न्यूज& राजलदेसर
मर्यादा समवसरण की तरफ बढ़ते धवल सेनानियों के कदम, आकाश में लहराता आलोक बिखेरता जैनध्वज, श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते गतिशील आचार्य महाश्रमण और हजारों लोगों का कारवां देखते ही बन रहा था।
अवसर था तेरापंथ धर्मसंघ के तीन दिवसीय १४७ वें मर्यादा महोत्सव के समापन का। अपनी शिष्ट मंडली के बीच आसन पर विराजमान आचार्य महाश्रमण ने तेरापंथ धर्मसंघ के विधान पर बोलते हुए कहा कि धर्मसंघ में आज्ञा के तहत काम होता है तो आज्ञा रक्षा कवच का कार्य करती है।
दीक्षा दी जाए और किसी योग्य व्यक्ति को कदाचित अयोग्य लगे तो गण से अलग करने का विधान है। धर्मसंघ मौलिक मर्यादाओं पर टिका है, संघ की एकता व अखंडता मर्यादाओं पर टीकी है। मैं सबसे अधिक महत्व साधना और संघ की गतिविधियों को दे रहा हूं। उन्होंने ज्ञानशालाओं को बढ़ावा दिए जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ज्ञानशाला आने वाली पीढ़ी के लिए वरदान है। आचार्य महाश्रमण ने कहा कि संघ या संप्रदाय से जुड़ी संस्थाओं में पवित्रता बनी रहे और इनमें मनमुटाव की भावना नहीं होनी चाहिए। चुनाव भी करवाने हों तो राजनीति के अखाड़े की तरह नहीं बल्कि शालीनता से करवाए जाएं। गुरुवर ने तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के विकास को संतोषप्रद बताते हुए उपासना को पोषक बनाने की तरफ विशेष ध्यान दिए जाने पर बल दिया
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संस्कार जीवन निर्माण की कला : मुनि रमेश
14/02/11
सुजानगढ़ में प्रशिक्षक व ज्ञानार्थियों की ज्ञानशाला
चूरू & सुजानगढ़ सेवा केंद्र व्यवस्थापक मुनि रमेश कुमार ने कहा कि शिक्षा के साथ संस्कारों की बहुत आवश्यकता होती है। अत: शिक्षा का उद्देश्य केवल आजीविका का साधन न हो ऐसे प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा जीवन की साधना बने यह एक महत्वपूर्ण बात है।
वे रविवार को कस्बे के दस्सानी भवन में प्रशिक्षक व ज्ञानार्थियों की ज्ञान शाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब तक शिक्षा के साथ-साथ सत्संस्कारों का रोपण नहीं होगा तब तक संस्कृति की सुरक्षा पर भी खतरा बना रहेगा। इस अवसर पर उन्होंने ज्ञानशाला को संस्कार निर्माण का उपक्रम बताया। जबकि ज्ञानशाला संयोजिका शोभा सेठिया ने कहा कि तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ सभा व युवक परिषद् के सहयोग से संचालित इस ज्ञानशाला में विगत एक वर्ष में ११ प्रशिक्षकों ने प्रशिक्षण लिया। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत में विवेेक चोरडिय़ा ने त्रिपदी वंदना की। लोकेश बोरड़, पवन बोथरा, जयश्री, हर्षा रश्मि, निशा एवं ऋचा ने मुक्तक पेश किए
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अहिंसा यात्रा के साथ आज करेंगे विहार
14/02/11 भास्कर न्यूज & राजलदेसर
आचार्य महाश्रण ने कहा कि हर काम में सामंजस्य होना चाहिए, सामंजस्य के अभाव में संतुलन बिगड़ता है, जो सही नहीं है।वे रविवार को अध्यात्म समवसरण में हुए मंगलभावना समारोह में उपस्थितजन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने भागवत गीता का वर्णन करते हुए कहा कि हमारा हर काम यथार्थ युक्त होना चाहिए। खाने, पीने, उठने, बैठने, सोने और चलने में संयम रखना चाहिए। आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा कही गई बात का उल्लेख करते हुए आचार्य महाश्रमण ने कहा कि प्रतिदिन चार किमी पैदल घूमना स्वास्थ्य के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है। शरीर को श्रम करना चाहिए। साधु साध्वियों में हृदयाघात की बीमारी नहीं होनेे के पीछे मूल कारण यही है। इस अवसर पर अनेक श्रद्धालु, साधु-साध्वियां व श्रमण-श्रमणियां उपस्थित थे।
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जीवन विज्ञान जीवन जीने की कला
15/02/11 छापर &
तेरापंथ धर्मसंघ के प्रेक्षाध्यान व जीवन विज्ञान प्रभारी मुनि किशनलाल ने कहा कि जीवन विज्ञान जीवन जीने की एक कला है जिसके निर्वहन से विद्यार्थी अपना सर्वांगीण विकास कर सकते है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ-साथ नैतिक मूल्यों का विकास करना व अपने माता-पिता व गुरुओं का सम्मान करना ही जीवन विज्ञान की परिभाषा है।
वे सोमवार को कस्बे के राउमावि में विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। मुनि किशनलाल ने कहा कि आचार्य तुलसी व आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा चलाए गए जीवन विज्ञान उपक्रम से आज देशभर के विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे है। इसी कड़ी में विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में भी कई जगह जीवन विज्ञान व प्रेक्षा ध्यान को लागू किया गया है जो विद्यार्थियों में नैतिकता के जागरण में सहायक सिद्ध होंगे। इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों को जीवन विज्ञान एवं प्रेक्षा ध्यान के अनेक प्रयोग भी करवाये। कार्यक्रम में उपस्थित मुनि चैतन्य कुमार ने विद्यार्थयों को नशा मुक्त जीवन जीने की प्रेरणा दी। भिक्षु साधना केंद्र के ट्रस्टी सुमेरमल नाहटा की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम की शुरूआत में छात्राओं ने अणुव्रत गीत पेश किया। बाद में तेरापंथ सभा के प्रवक्ता प्रदीप सुराणा ने उपस्थित विद्यार्थियों से मुनि किशनलाल का परिचय करवाया। कार्यक्रम के अंत में संस्था प्रधान रेखाराम गोदारा ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर जैन विश्व भारती के जीवन विज्ञान प्रशिक्षक गिरजाशंकर दुबे, भैराराम सुथार एवं मंगेजाराम मारोठिया सहित अनेक विद्यार्थी उपस्थित थे
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आचार्य की विदाई पर नम हुई आंखें
15/02/11 भास्कर न्यूज & राजलदेसर
21 दिनों तक जीवन उत्थान के सूत्र पाने वाले राजलदेसरवासियों की आंखें उस समय भीग गई, जब तेरापंथ धर्मसंघ के 11 वें आचार्य महाश्रमण ने कस्बे से लूणासर की ओर विहार किया।
मर्यादा महोत्सव के संपन्न होने के बाद सोमवार को आचार्य महाश्रमण व साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने करीब सुबह 10.20 बजे नाहर भवन से अपनी अहिंसा यात्रा के रथ व अपनी धवल सेना के साथ जैसे ही विहार किया तो पूरा कस्बा ओम अर्हम् की ध्वनि से गूंज उठा। विहार से पूर्व आचार्य महाश्रमण ने नाहर भवन में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे आत्मसंतोष हो रहा है, कि मैं गुरुवर महाप्रज्ञ की अवशेष रही अहिंसा यात्रा को पुन: शुरू कर रहा हूं और समय व स्वास्थ्य की अनुकूलता के साथ दीर्घ यात्राएं करने का भाव है। इस अवसर पर आचार्य महाश्रमण ने अहिंसा यात्रा की मंगलमय कामना की।
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गुरुवरों को याद कर यात्रा का शुभारंभ
आचार्य महाश्रमण ने सोमवार को गुरुवर आचार्य महाप्रज्ञ की अवशेष रही अहिंसा यात्रा का पुन: शुभारंभ किया। विहार से पहले महाश्रमण ने अपने गुरुवरों को याद करते हुए मंत्रोच्चारण के साथ यात्रा का शुभारंभ किया। इस अवसर पर आचार्य ने रतनादीक मुनियों सहित मंत्री मुनि की वंदना कर अहिंसा यात्रा के रथ के साथ विहार किया। यात्रा में साधु—साध्वियां, समण समणियां, महिला मंडल, कन्या मंडल, युवक परिषद व व्यवस्था समिति कार्यकर्ता सदस्यों सहित काफी तादात में श्रावक—श्राविकाएं पंक्तिबद्ध चल रहे थे।
ये रहेगी आचार्य महाश्रमण की यात्रा
तेरापंथ धर्मसंघ के १० वें आचार्य गुरुवर महाप्रज्ञ के नेतृत्व में नौ वर्षों तक चली अहिंसा यात्रा को आचार्य महाश्रमण ने राजलदेसर से १४ फरवरी को सुबह करीब १०:२० बजे पर पुन: शुरू किया है।
जानकारी के अनुसार अहिंसा यात्रा का संभावित पथ १४ फरवरी को लूणासर, १५ को पडि़हारा, १६ को रणधीसर, १७ को छापर, १८ को सुजानगढ़ और १९ से २१ फरवरी लाडनूं तय है।
आशीर्वांद के उमड़ी भीड़
महाश्रमण के विहार के समय सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु आचार्य महाश्रमण व साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा के आशीर्वांद के लिए उमड़ पड़े। मर्यादा महोत्सव के समापन के बाद सोमवार को कस्बा सूना-सूना नजर आया। पिछले कईदिनों से खुली हवेलियां बंद होने से चहल-पहल भी समाप्त हो गई।
लूणासर में बिछाए पलक पांवड़े...
आचार्य महाश्रमण करीब ११:४५ बजे पर गांव लूणासर पहुंचते ही अणव्रत समिति कार्यकर्ताओं व ग्रामीणों ने गुरुवरम् के स्वागत में पलक पांवड़े बिछाए। इस अवसर पर महाश्रमण ने अहिंसा का संदेश देते हुए कहा कि आदमी यह सोचे कि मेरे कारण किसी को कष्ट न उठाना पड़े। जितना हो सके दूसरों को चित्त समाधि देने का प्रयास करें। महाश्रमण ने ''मोड़ो बेग्यो फूट्या सरसी घड़ो भरियोड़ो पाप रों..ÓÓ गीत की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर आचार्य ने उपस्थित स्कूली छात्र—छात्राओं को नशामुक्ति की प्रतिज्ञा दिलवाते हुए कहा कि 'रघुकुल रीत सदां चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाईÓ। इससे पूर्व ग्रामवासियों की तरफ से रतनगढ़ विधायक राजकुमार रिणवां व करणी गोशाला के महावीरसिंह ने महाश्रमण का अभिनंदन पत्र भेंटकर स्वागत किया।
लूणासर में कई कार्यक्रम
लूणासर में आचार्य महाश्रमण के स्वागत कार्यक्रम के दौरान श्रीजैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा राजलदेसर के अध्यक्ष हुणमतल नाहर के सौजन्य से राजलदेसर अणुव्रत समिति सहित निकटवर्ती पांच गांवों लूणासर, रतनादेसर, भरपालसर, जोरावरपुरा व बंडवा मे बनी अणुव्रत समितियों को साहित्य भेंट किया गया। विकास समिति राजलदेसर की प्रेरणा से स्व. बुद्धमल गिडिय़ा की स्मृति में गिडिय़ा परिवार के सौजन्य से जरूरतमंदो को कंबल वितरण किए गए। इसी क्रम में पन्नालाल विनायक परिवार राजलदेसर द्वारा पांच जरूरतमंद लोगों को एक—एक ट्राई साइकिल व पांचों अणुव्रत समितियों को जरूरतमंद लोगों को दो—दो सिलाई मशीन भेंट की गई।
आचार्य महाश्रमण आज पडि़हारा में
पडि़हारा. तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण लूणासर ग्राम से विहार करके मंगलवार को कस्बे में ९.३० बजे अपनी धवल सेना के साथ मंगल प्रवेश करेंगे। आचार्य महाश्रमण राजलदेसर से आरंभ अहिंसा यात्रा के अंतर्गत पहली दफा कस्बे में आ रहे हैं। जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष धर्मचंद गोल्छा एवं विजयकुमार सुराणा ने बताया कि आचार्य महाश्रमण के स्वागत में कस्बे के लोगों ने पलक पावड़े बिछा रखे हैं।
आचार्य महाश्रमण के पडि़हारा की सीमा पर पहुंचते ही जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ कन्या मंडल के अलावा कस्बे के लोग उनका स्वागत करेंगे। आचार्य को कस्बे की सीमा से जुलूस के रूप में प्रज्ञा भवन लाया जाएगा। आचार्य के प्रज्ञा भवन में मंगल प्रवेश के बाद वहीं पर सुबह १०.१५ बजे प्रवचन का कार्यक्रम होगा। अहिंसा यात्रा में आचार्यश्री समाज में नैतिक मूल्यों की प्रतिष्ठा, अहिंसक चेतना का जागरण, अनुकंपा की चेतना का विकास करने की प्रेरणा देने के साथ-साथ नशा मुक्ति अभियान चलाएंगे
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आचार्य महाश्रमण रणधीसर पहुंचे
17/02/11 भास्कर न्यूज& छापर

रणधीसर में मंगल प्रवेश किया।
इस अवसर पर आचार्य महाश्रमण के रणधीसर ग्राम की सीमा में प्रवेश करने पर छापर तेरापंथ सभाध्यक्ष कमलसिंह छाजेड़ सहित जैन समाज के अनेक लोगों ने स्वागत किया। बाद में आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में रणधीसर के रामावि में नोखा की शासनश्री की उपाधि से अलंकृत साध्वी मोहना की स्मृति सभा हुई। शुरूआत नोखा की महिला मंडल की बहिनों ने गीतिका से की। इस अवसर पर आचार्य महाश्रमण ने साध्वी मोहना की संघ व संघ पति के प्रति निष्ठा की सराहना करते हुए तेरापंथ धर्म संघ में उनके योगदान को महत्वपूर्ण बताया।
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आचार्य महाश्रमण आज छापर में

छापर आगमन पर स्वागत में बिछाए पलक
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11 वें आचार्य महाश्रमण का सीमा प्रवेश 19 मार्च को
08 Feb, 11
भीलवाड़ा। तेरापंथ धर्मसंघ के 11 वें आचार्य महाश्रमण का भीलवाड़ा जिले की सीमा में प्रवेश 19 मार्च को गुलाबपुरा से होगा। आचार्य मेवाड़ क्षेत्र की सीमा में प्रवेश 28 मार्च को लाछुड़ा से करेंगे। आचार्य श्री का भीलवाड़ा जिले में करीब एक पखवाड़ा प्रवास रहेगा। मेवाड़ क्षेत्र में प्रवेश के लिए मर्यादा महोत्सव के बाद राजलदेसर से आचार्य महाश्रमण 14 फरवरी को विहार करेंगे।
आचार्यश्री संत मण्डल के साथ लाडनूं, किशनगढ़, अजमेर, बिजयनगर होते हुए होली चातुर्मास के लिए 19 मार्च को गुलाबपुरा आएंगे। भीलवाड़ा जिले में एक पखवाड़ा प्रवास के दौरान आचार्य महाश्रमण शंभूगढ़, बदनोर होते हुए 26 मार्च को आसीन्द पहुचेंगे। महाश्रमण बराणा होते हुए 28 मार्च को लाछुड़ा से मेवाड़ प्रवेश करेंगे। आचार्य के आगमन तैयारियों के लिए सुरेश मुनि हरनावा के सान्निध्य में तेरापंथ सभा के पदाधिकारी बैठकों में जुटे है।
हरनावा के सहयोग सम्बोध मुनि ने बताया कि आचार्य महाप्रज्ञ की अपरिहार्य कारणों से स्थगित मेवाड़ यात्रा को पुन: कायम करते हुए महाश्रमण शिशोदा में महावीर जयन्ती, रिछेड़ में अक्षय तृतीय महोत्सव, सम्बोधि उपवन में प्रज्ञा दिवस, मजेरा में आचार्य महाप्रज्ञ प्रथम महाप्रयाण दिवस, कांकरोली में अमृत महोत्सव, राजसमन्द में बोधि दिवस एवं वर्ष 2011 का चार्तुमास केलवा में करेंगे। वर्ष 2012 का मर्यादा महोत्सव राजसमन्द जिले के आमेट में होगा।
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छापर. आचार्य महाश्रमण की उपस्थिति में मुनि आलोक से सेवाकेंद्र का कार्यभार ग्रहण करते मुनि सुमति कुमार
18 Feb-2011 print edition of Dainik Bhaskar
अज्ञानता हिंसा का मूल कारण
छापर आगमन पर स्वागत में बिछाए पलक & आचार्य महाप्रज्ञ शिशु वाटिका का लोकार्पण
तेरापंथ धर्मसंघ के ११ वें आचार्य महाश्रमण ने अज्ञानता को हिंसा का मूल कारण बताते हुए कहा कि अज्ञानी व्यक्ति धर्म और अधर्म में अंतर को नहीं समझ पाता, ऐसे में वह हिंसा का कारक बन जाता है।

आचार्य महाश्रमण की उपस्थिति में मुनि आलोक से सेवाकेंद्र का कार्यभार ग्रहण करते मुनि सुमति कुमार
शिशु वाटिका के भामाशाहों का अभिनंदन
आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में हुए आचार्य महाप्रज्ञ शिशु वाटिका आदर्श विद्या मंदिर के लोकार्पण समारोह में शिशु वाटिका में सहयोग प्रदान करने वाले भामाशाहों का अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर शिशु वाटिका के लिए भूखंड प्रदान करने वाले शिक्षाप्रेमी स्व. चांदादेवी सिंघी व स्व. हनुमानमल सिंघी के प्रतिनिधि प्रदीप सुराणा को अणतमल जाजू ने व भवन निर्माता शासनसेवी स्व. कन्हैयालाल दुधोडिय़ा की प्रतिनिधि मंगली देवी दुधोडिय़ा का हरि किशन लाहोटी ने प्रतीक चिन्ह व श्रीफल भेंट कर अभिनंदन किया।
मुनि सुमतिकुमार ने संभाला सेवाकेंद्र का कार्यभार : आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में हुए आचार्य महाप्रज्ञ शिशु वाटिका आदर्श विद्या मंदिर लोकार्पण समारोह में मुनि सुमतिकुमार ने छापर सेवाकेंद्र के व्यवस्थापक का कार्यभार ग्रहण किया। इस अवसर पर पूर्व व्यवस्थापक मुनि आलोकुमार ने विगत दो वर्षों में सेवाकेंद्र में दी गई सेवाओं से आचार्य महाश्रमण को अवगत करवाते हुए मुनि सुमतिकुमार को व्यवस्थापक का कार्य भार सौंपा। इस अवसर पर आचार्य महाश्रमण ने मुनि आलोक की सेवा भावना की प्रशंसा करते हुए कहा कि मुनि सुमतिकुमार भी एक सेवाभावी संत हैं, जो वृद्ध संतों की सेवा में सदैव तत्पर रहेंगे।
आचार्य महाश्रमण ने कस्बे के भिक्षु साधना केंद्र में सेवा ले रहे वृद्ध संतों से कुशलक्षेम पूछी। इस अवसर पर उन्होंने मुनि रिद्धकरण, मुनि देवराज व मुनि मानसकुमार से कुशलक्षेम पूछी। मुनि आलोककुमार व मुनि सुमतिकुमार ने आचार्य महाश्रमण का सेवाकेंद्र में अभिनंदन किया।
धवल सेना का किया स्वागत
आचार्य महाश्रमण व साध्वी प्रमुख कनकप्रभा की धवल सेना का छापर आगमन पर कस्बे के जैन धर्मावलंबियों व अन्य श्रावक समाज ने स्वागत किया। इस अवसर पर विधायक राजकुमार रिणवा, तेरापंथ सभाध्यक्ष कमलसिंह छाजेड़, सभा प्रवक्ता प्रदीप सुराणा, पूर्व अध्यक्ष भानुकुमार नाहटा, माणक बुच्चा, मानमल कोठारी, लक्ष्मीपत दुधोडिय़ा, रूपचंद दुधोडिय़ा, बिमल दुधोडिय़ा, विनोद भंसाली, शांतिलाल दुधोडिय़ा, श्रीचंद नाहर, धनराज नाहर, राजू डोसी, हनुमान चौरडिय़ा, कन्हैयालाल भंसाली, उत्तम दुधोडिय़ा, सूरजमल नाहटा, सुमेरमल मालू, सुमेरमल नाहटा, आलोक नाहटा, बिमला नाहटा, चंपादेवी कोठारी, प्रेम सुराणा, निर्मला दूगड़, मंजू दुधोडिय़ा, सरोज भंसाली, संपत डोसी, कविता भंसाली, मोहनीदेवी सुराणा, बंशी डूडी, ओमप्रकाश सिद्ध, मास्टर फकीर मोहम्मद, राकेश ढेनवाल, महावीर खटीक, जयराम जांगिड़, रणजीत दूगड़, बाबूलाल दुधोडिय़ा, चैनरूप दायमा, धन्नाराम प्रजापत, मदनलाल गोयल, किशन सारड़ा व नायब तहसीलदार मूलचंद लूणियां ने बिजली घर के पास आचार्य महाश्रमण की धवल सेना की अगवानी की। बाद में ऊं अर्हम के जयघोष के साथ स्वागत जुलूस निकाला गया। कस्बे के मुख्य मार्गों से होता हुआ जुलूस भिक्षु साधना केंद्र होते हुए आचार्य महाप्रज्ञ शिशु वाटिका आदर्श विद्या मंदिर पहुंचा। इस अवसर पर कन्या मंडल की हर्षा दुधोडिय़ा, राजदीप जैन, यशा दुधोडिय़ा, मीनू, ज्योति दुधोडिय़ा, प्रिया दुधोडिय़ा व प्रिया नाहटा सहित महिला मंडल की अनेक बहिनें व सैंकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।
महाश्रमण आज सुजानगढ़ में
चूरू. आचार्य महाश्रमण व साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा अपनी धवल सेना के साथ शुक्रवार को छापर से मंगल विहार कर सुजानगढ़ पहुंचेंगे। सुजानगढ़ तेरापंथ सभाध्यक्ष बजरंगलाल बोकडिय़ा ने बताया कि इस अवसर पर कस्बे के अनेक जैन धर्मावलंबी व अन्य श्रावक समाज गांधी आश्रम के पास आचार्य महाश्रमण की धवल सेना की अगुआनी करेंगे। इसके पश्चात स्वागत जुलूस निकाला जाएगा जो बस स्टैंड से स्टेशन रोड होते हुए तेरापंथ सभा भवन पहुंचकर संपन्न होगा।
छापर में प्रवेश करते शासन गौरव मुनि ताराचंद।
Published in 17 Feb-2011 print edition of Dainik Bhaskar

छापर में प्रवेश करते शासन गौरव मुनि ताराचंद।
छापर& तेरापंथ के शासन गौरव मुनि ताराचंद व छापर सेवाकेंद्र के नव नियुक्त व्यवस्थापक मुनि सुमति कुमार अपने सहयोगी संत मुनि आदित्य कुमार व मुनि देवार्य कुमार के साथ बुधवार को छापर पहुंचे। इस अवसर पर सेवाकेंद्र व्यवस्थापक मुनि आलोक कुमार व मुनि हिमकुमार ने संतोषी माता मंदिर के पास आगंतुक जैन मुनियों की अगवानी की।जानकारी के अनुसार गुरुवार को आचार्य महाश्रमण के छापर आगमन के बाद शासन गौरव मुनि ताराचंद के सानिध्य में मुनि सुमति कुमार सेवा केंद्र व्यवस्थापक का कार्यभार ग्रहण करेंगे।
बालोतरा. मुनि से आर्शीवाद लेते जोधपुर आयकर आयुक्त जैन
Published in 14 Feb-2011 print edition of Dainik Bhaskar
'असंयम और अपव्यय से जीवन बोझिल बनता हंै'
भास्कर न्यूज & बालोतरा
नैतिकता के विकास से ही स्वस्थ समाज की रचना की जा सकती है। वही धर्म प्राणवान है जिसमें आध्यात्म और नैतिकता का पुट है। कोरी उपासना मनुष्य के लिए त्राण नहीं बन सकती।
सुमेर निकेतन में अणुव्रत के आदर्श और कत्र्तव्यबोध पर उद्बोधन देते हुए मुनि मदन कुमार ने यह विचार व्यक्त किए। मुनि ने कहा कि संयम से ही जीवन में शांति और सुख अनुभव किया जा सकता है। आचार्य तुलसी को महापुरूष बताते हुए मुनि ने कहा कि असंयम और अपव्यय से जीवन बोझिल बनता है। भोज और शादी में होने वाला प्रदर्शन तथा फिजूलखर्च चिंतनीय है। जीवन में संयम लाकर ही नैतिकता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। कार्यक्रम में जोधपुर आयकर आयुक्त बी पी जैन ने कहा कि संयम में चुंबकीय आकर्षण होता है। उन्होंने कहा कि अणुव्रत में अद्भुत शक्ति है जिससे नए समाज का निर्माण किया जा सकता है। कार्यक्रम में मुनि कोमल कुमार एवं शांतिप्रिय ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए। सुमेरमल भंसाली एव जवेरीलाल सालेचा ने अतिथि बी पी जैन का सहित्य देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए ओम बांठिया ने संकल्प ग्रहण करने का आह्वान किया।

बालोतरा. मुनि से आर्शीवाद लेते जोधपुर आयकर आयुक्त जैन
source : "Terapanth Professionals" group.
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