चारभुजा 24 जून 2011
तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने कहा कि राजनेताओं को संतों की शरण में जाना चाहिए तथा उनसे ज्ञान की बातें सीखना चाहिए। इससे उनके कार्य ज्यादा बेहतर तरीके से हो सकेंगे। राजनेताओं को राजनीतिक मुद्दों के साथ ही जनता से जुड़े मुद्दों पर संत अच्छा परामर्श दे सकते हैं।
वे गुरुवार को चारभुजा में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। आचार्य ने कहा कि राजतंत्र धर्मतंत्र से प्रभावित रहना चाहिए, लेकिन धर्मतंत्र में राजनीति नहीं होनी चाहिए। अहिंसा यात्रा पर उन्होंने कहा कि गुरुदेव महाप्रज्ञ की अहिंसा यात्रा के दौरान मेवाड़ का कुछ क्षेत्र छूट गया था, जिसे वे पूरा करने के लिए मेवाड़ में घूम रहे हैं। अहिंसा यात्रा का उद्देश्य सांप्रदायिक की स्थापना, नशा मुक्ति और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए लोगों को समझाना है। अहिंसा यात्रा को लेकर मेवाड़ के गांव-गांव के लोगों में उत्साह देखने में आया तथा सिर्फ जैन ही नहीं सभी समाजों के लोगों ने यात्रा का पूरे मन से स्वागत किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने नशामुक्ति के संकल्प भी किए हैं।
तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने कहा कि राजनेताओं को संतों की शरण में जाना चाहिए तथा उनसे ज्ञान की बातें सीखना चाहिए। इससे उनके कार्य ज्यादा बेहतर तरीके से हो सकेंगे। राजनेताओं को राजनीतिक मुद्दों के साथ ही जनता से जुड़े मुद्दों पर संत अच्छा परामर्श दे सकते हैं।
वे गुरुवार को चारभुजा में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। आचार्य ने कहा कि राजतंत्र धर्मतंत्र से प्रभावित रहना चाहिए, लेकिन धर्मतंत्र में राजनीति नहीं होनी चाहिए। अहिंसा यात्रा पर उन्होंने कहा कि गुरुदेव महाप्रज्ञ की अहिंसा यात्रा के दौरान मेवाड़ का कुछ क्षेत्र छूट गया था, जिसे वे पूरा करने के लिए मेवाड़ में घूम रहे हैं। अहिंसा यात्रा का उद्देश्य सांप्रदायिक की स्थापना, नशा मुक्ति और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए लोगों को समझाना है। अहिंसा यात्रा को लेकर मेवाड़ के गांव-गांव के लोगों में उत्साह देखने में आया तथा सिर्फ जैन ही नहीं सभी समाजों के लोगों ने यात्रा का पूरे मन से स्वागत किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने नशामुक्ति के संकल्प भी किए हैं।
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