संवत्सरी का सार है इस कविता में जिसके रचयिता है
- आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी
" संवत्सरी महापर्व "
"Terapanth Professionals" group.
- आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी
" संवत्सरी महापर्व "
आत्मा की पोथी पढ़ने का, यह सुन्दर अवसर आया है |
जीवन की पोथी पढ़ने का, यह सुन्दर अवसर आया है ||
सोपान यही है चढ़ने का, मस्तिष्क मनुज का पाया है |
संवत्सर का सन्देश सुनें, निर्मल मल निर्मल काया है ||
१. जीवन की पोथी के पहले पन्ने में मैत्री मंत्र लिखो |
सिर दर्द समुल मिटाने का, यह सुन्दर अवसर आया है ||
२. भूलो भूलो उसको भूलो जो कटुता का व्यवहार हुआ |
जीवन को सरस बनाने का, यह सुन्दर अवसर आया है ||
३. खोलो अब वैर विरोधों की, गांठें जो घुलती आई है |
तन मन को स्वस्थ बनाने का, यह सुन्दर अवसर आया है ||
४. क्यों खोज शान्ति की बाहर में, वह अपने मन की छाया है |
उपशम की शक्ति बढ़ाने का, यह सुन्दर अवसर आया है |
५. सहना सीखो, कहना सीखो, रहना सीखो दिनचर्या में |
मृदुता की ज्योति जलाने का, यह सुन्दर अवसर आया है ||
६. हो वार्षिक आत्म निरीक्षण भी, क्या खोया है, क्या पाया है |
आत्मा का वीर्य जगाने का, यह सुन्दर अवसर आया है ||
७. जो अंतर्दर्शन पायेगा, वह " महाप्रज्ञ " कहलायेगा |
अपनी आत्मा को पाने का यह सुन्दर अवसर आया है ||
जीवन की पोथी पढ़ने का, यह सुन्दर अवसर आया है ||
सोपान यही है चढ़ने का, मस्तिष्क मनुज का पाया है |
संवत्सर का सन्देश सुनें, निर्मल मल निर्मल काया है ||
१. जीवन की पोथी के पहले पन्ने में मैत्री मंत्र लिखो |
सिर दर्द समुल मिटाने का, यह सुन्दर अवसर आया है ||
२. भूलो भूलो उसको भूलो जो कटुता का व्यवहार हुआ |
जीवन को सरस बनाने का, यह सुन्दर अवसर आया है ||
३. खोलो अब वैर विरोधों की, गांठें जो घुलती आई है |
तन मन को स्वस्थ बनाने का, यह सुन्दर अवसर आया है ||
४. क्यों खोज शान्ति की बाहर में, वह अपने मन की छाया है |
उपशम की शक्ति बढ़ाने का, यह सुन्दर अवसर आया है |
५. सहना सीखो, कहना सीखो, रहना सीखो दिनचर्या में |
मृदुता की ज्योति जलाने का, यह सुन्दर अवसर आया है ||
६. हो वार्षिक आत्म निरीक्षण भी, क्या खोया है, क्या पाया है |
आत्मा का वीर्य जगाने का, यह सुन्दर अवसर आया है ||
७. जो अंतर्दर्शन पायेगा, वह " महाप्रज्ञ " कहलायेगा |
अपनी आत्मा को पाने का यह सुन्दर अवसर आया है ||
8 मोती ज्ञान के
जीतने के लिए प्रेम ,
पीने के लिए क्रोध ,
खाने के लिए गम ,
देने के लिए दान ,
...दिखाने के लिए दया ,
लेने को ज्ञान ,
कहने को सत्य ,
हार ने को अहम्
" जय जिनेद्र "
जीतने के लिए प्रेम ,
पीने के लिए क्रोध ,
खाने के लिए गम ,
देने के लिए दान ,
...दिखाने के लिए दया ,
लेने को ज्ञान ,
कहने को सत्य ,
हार ने को अहम्
" जय जिनेद्र "
महावीर नाम को जप ले भैया
उषा की लाली देख
तिमिर काँप उठा
सूरज की किरण देख के
वह भाग गया
प्रातः उठ कर जिसने
चित्र महावीर का देखा
वह भाग गया
प्रातः उठ कर जिसने
चित्र महावीर का देखा
उसे नयी रोशनी, नया प्रकाश मिला
महावीर नाम को जप ले भैया
तेरी पार हो गयी नैया
तेरी पार हो गयी नैया
तेरी पार हो गयी नैया
वे दया के सागर कृपा सिन्धु
तेरी पार करेंगे नैया
तेरी पार करेंगे नैया
तेरी पार हो गयी नैया
जिस-जिस ने प्रभु को ध्याया
मन वांछित फल पाया
मन वांछित फल पाया
संकट पीडा में नाम प्रभु का
देता बडा सहारा॥ महावीर॥
चन्दनवाला को बन्धन से
किसने आन छुडाया
किसने आकर बोलो उसका
सोया भाग जगाया
प्रभु हुई कृपा चन्दनवाला ने
किसने आन छुडाया
किसने आकर बोलो उसका
सोया भाग जगाया
प्रभु हुई कृपा चन्दनवाला ने
प्रभुजी को पडगाया॥महावीर॥
सेठ सुदर्शन को सूली से
किसने आन बचाया
अंजन चोर निरंजन बन गया
कैसी तेरी माया
अरे वीर नाम को जपते चालो,
किसने आन बचाया
अंजन चोर निरंजन बन गया
कैसी तेरी माया
अरे वीर नाम को जपते चालो,
वे ही पार लगैया॥महावीर॥
चाहे कैसा भी संकट या
कैसा ही दुःख होवे
बिगडे न कुछ भक्त हृदय का
बाल ना बाका होवे
बडी शक्ति है प्रभु नाम में तेरे
कैसा ही दुःख होवे
बिगडे न कुछ भक्त हृदय का
बाल ना बाका होवे
बडी शक्ति है प्रभु नाम में तेरे
सारे जग के रखवैया॥महावीर॥
"Terapanth Professionals" group.
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