नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश द्वारा राज्य के जैन समुदाय को धाॢमक अल्पसंख्यक का दर्जा दिये जाने के बाद अब उत्तर प्रदेश एंव मध्य प्रदेश सहित देश के ११ राज्यों ने इस समुदाय को धाॢमक अल्पसंख्यक का दर्जा दे दिया है। इस फैसले को यह समुदाय मुख्य तौर पर अपने शिक्षण संस्थाना का स्वशासी बन सकेगा साथ ही धाॢमक अल्पसंख्यकों को मिलने वाली योजनाओं का भी लाभ उठा सकेगा। भारत वर्षीय दिगंबर जैने (धर्म संरक्षिणी) महासभा के अध्यक्ष निर्मल कुमार सेठी के अनुसार दरअसल धाॢमक अल्पसंख्यक का दर्जा जैन समुदाय किसी आॢथक लाभ या विशेष रियायतें पाने के लिये नहीं चाहता है बल्कि मुख्य तौर पर वह जैन विचारधारा पर आधारित अपने शैक्षणिक संस्थानों को स्वयं चलाना चाहता है ताकि इस विचारधारा एवं संस्कृति को अक्षुष्ण रखा जा सके। इस विचार को किसी भी तरह से संर्कीणता से नहीं देखा जाना चाहिये। गौरतलब है कि गत सात मार्च को आंध्र प्रदेश सरकार ने मुस्लिम तथा ईसाइयों की तरह जैन समुदाय को भी धाॢमक अल्पसंख्यक का दर्जा दिये जाने की जैन समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांग को मंजूरी दे दी भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३० के तहत यह मंजूरी दी गयी। महासभा की समन्वय समिति के समन्वयक डा. विमल जैन के अनुसार उपरोक्त तीन राज्यों के अलावा उत्तरांचल, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, त्रिपुरा तथा पश्चिम बंगाल भी जैन समुदाय को धाॢमक अल्पसंख्यक का दर्जा दे चुके हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबीनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। देश भर के जैन समुदाय ने इस फैसले का स्वागत किया है।
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source : terpanth news
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