नोहर. स्थानीय तेरापंथ भवन में साध्वी स्वर्णरेखा के सान्निध्य में पर्यूषण पर्व का आठवां दिवस संवत्सरी महापर्व के रूप में मनाया गया। साध्वी स्वर्णरेखा ने कहा कि संवत्सरी पर्व जैन धर्म के सभी पर्वों में सबसे बड़ा पर्व है। इसलिए इसे पर्वाधिराज यानि सभी पर्वों का राजा कहा जाता है। साध्वी श्री ने स्वरचित गीत 'कर्मण की रेखा न्यारी' का पाठ किया। साध्वी स्वास्तिक श्री ने कहा भादो माह अध्यात्म से हरा-भरा होता है, उसमें व्यक्ति अपनी चेतना को जगा लेता है। साध्वी सुधांशु प्रभा ने संवत्सरी पर्व को अपने आप को देखने, राग-द्वेष की गांठे खोलने, इंद्रियों को वश में रखने, आत्म-चिन्तन मंथन का पर्व बताया। किशोर मंडल द्वारा तीर्थकरों पर कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। भगवान महावीर व चंदन माला पर लघु नाटिका राधा, कोमल, नेहा, काजल सिपानी द्वारा प्रस्तुत की गई। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष सोहन लाल चोरडिय़ा, उपाध्यक्ष बाबूलाल बरडिय़ा, मंत्री महेंद्र सिपानी, कोषाध्यक्ष सुशील सिपानी, महिला मंडल अध्यक्ष शांता देवी बरडिय़ा सहित महिला मंडल संरक्षिका सरला सिपानी ने विचार रखे।
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