राजसमन्द। राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटील ने कहा है कि बढ़ती नशे की प्रवृति समाज के लिए खतरा बन गई है। विशेष तौर से समाज का युवा वर्ग इसकी गिरफ्त में आ रहा है जो चिन्ता का विषय है। इसके दुष्प्रभावों के बारे में लोगों में जागरूकता लानी होगी। बालिका भू्रण हत्या पर भी चिन्ता जताते हुए राष्ट्रपति ने इसे हिंसा का एक विभत्स रूप करार दिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि भ्रूण हत्या को रोकने के लिए तत्काल कठोर कदम उठाने चाहिए। उन्होंने भ्रष्टाचार को मटाने के लिए चरित्र निर्माण की जरूरत भी बताई।
राष्ट्रपति गुरूवार को राजसमन्द के प्रज्ञा विहार में तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण के जन्मोत्सव पर आयोजित अमृत महोत्सव कार्यक्रम को सम्बोघित कर रही थी। उन्होंने कहा कि देश में शराब एवं गुटखा से नशे से देश का युवा भ्रमित हो रहा है। इसके दुष्प्रभावों से समाज कुपोषित हो रहा है। इसके लिए देश में नशे के दुष्प्रभावों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए तेरापंथ धर्मसंघ ने जो नशा मुक्ति अभियान चलाया वह एक सराहनीय कदम है लेकिन लोगों को जागरूक करने के लिए साधु संतों को आगे आकर सामाजिक नजरिया एवं मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि जैन धर्म में अहिंसा के सिद्धान्त का अत्यघिक महत्व है। अहिंसा के माध्यम से ही महात्मा गंधी ने आजादी के आन्दोलन में जीत हासिंल कर दुनिया को यह बता दिया था कि अहिंसा में कितनी ताकत है। आचार्य महाप्रज्ञ की अहिंसा यात्रा एवं उनके बाद आचार्य महाश्रमण की अहिंसा यात्रा देश में सामाजिक समरसता के महत्व को बढ़ाएगी तथा सामाजिक बुराइयों लड़ने के लिए लोगों को प्रेरित करेगी।
राष्ट्रपति गुरूवार को राजसमन्द के प्रज्ञा विहार में तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण के जन्मोत्सव पर आयोजित अमृत महोत्सव कार्यक्रम को सम्बोघित कर रही थी। उन्होंने कहा कि देश में शराब एवं गुटखा से नशे से देश का युवा भ्रमित हो रहा है। इसके दुष्प्रभावों से समाज कुपोषित हो रहा है। इसके लिए देश में नशे के दुष्प्रभावों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए तेरापंथ धर्मसंघ ने जो नशा मुक्ति अभियान चलाया वह एक सराहनीय कदम है लेकिन लोगों को जागरूक करने के लिए साधु संतों को आगे आकर सामाजिक नजरिया एवं मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि जैन धर्म में अहिंसा के सिद्धान्त का अत्यघिक महत्व है। अहिंसा के माध्यम से ही महात्मा गंधी ने आजादी के आन्दोलन में जीत हासिंल कर दुनिया को यह बता दिया था कि अहिंसा में कितनी ताकत है। आचार्य महाप्रज्ञ की अहिंसा यात्रा एवं उनके बाद आचार्य महाश्रमण की अहिंसा यात्रा देश में सामाजिक समरसता के महत्व को बढ़ाएगी तथा सामाजिक बुराइयों लड़ने के लिए लोगों को प्रेरित करेगी।
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