अर्थ से अनर्थ भी संभव
"व्यक्ति को अर्थ के संग्रहण से बचने का प्रयास करना चाहिए। कभी-कभी यह
अर्थ व्यक्ति के लिए अनर्थ का कारण भी बन जाता है। इसके अभाव में वह अपराध के पथ पर अग्रसर होकर
हिंसक भी बन सकता है।"
आचार्य महाश्रमण ने उक्त विचार यहां तेरापंथ समवसरण में चल रहे चातुर्मास के दौरान सोमवार को अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के ४५वें अधिवेशन के समापन पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गृहस्थ जीवन में व्यक्ति के लिए धन की बहुत उपयोगिता है। इसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता। धन है तो भूख का समाधान भी होता है और तमाम तरह की भौतिक सुख-सुविधाएं भी प्राप्त की जा सकती हैं, लेकिन किसी व्यक्ति के पास धन नहीं है और निर्धन है तो वह इसकी प्राप्ति के लिए गलत राह पर जाने से भी नहीं
घबराता। उन्होंने एक प्रसंग प्रस्तुत करते हुए कहा कि व्यक्ति को जीवन यापन जितना धन सदैव अपने पास
संग्रहित करने का प्रयास करना चाहिए। इसके अभाव में अपने भी समय आने पर पराए हो जाते हैं। जनता में धन के प्रति आकर्षण भी है और इससे दुख की भी प्राप्ति होती है।
अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के निवर्तमान अध्यक्ष ने नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय खटेड़ को दायित्व निर्वहन का जिम्मा सौंपा। कन्हैयालाल छाजेड़ ने खटेड़ को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। युवा गौरव एवं व्यवस्था समिति के अध्यक्ष महेंद्र कोठारी ने युवाओं को लगन और मेहनत से कार्य करने की बात कही। आभार की रस्म केलवा मंडल मंत्री लक्की कोठारी ने अदा की। संयोजन रमेश सुतरिया ने किया।
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