यहां तेरापंथ समवसरण प्रांगण में
आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में
आयोजित कवि सम्मेलन देर रात तक
चला। इस दौरान देशभर के विभिन्न
प्रांतों से समागत श्रावक समाज व
श्रोता हास्य एवं वीर रस की धारा में
बहते चले गए। कवि सम्मेलन का
आयोजन चातुर्मास व्यवस्था समिति
की ओर से किया गया था।
रात आठ बजे सूत्रधार कवि
मध्यप्रदेश के अलबेला खत्री ने
'मुस्कराती जिंदगी चाहिए, एक उसकी
मेहरबानी चाहिए' की प्रस्तुति देकर
कवि सम्मेलन का आगाज किया।
मुंबई से आए कवि नरेंद्र बंजारा ने काव्यपाठ करते हुए तेरापंथ धर्म संघ के आचार्य महाश्रमण के चरणों में
अर्पित करते हुए 'समंदर जब तक है खारा, रहेगा तब तक ध्रुव तारा, चमकता रहेगा आपका ताज, आचार्य
महाश्रमण महाराज' की प्रस्तुति दी। इसे सुनकर श्रोता भावविभोर हो उठे। इसके बाद उन्होंने वर्तमान राजनीति
पर कटाक्ष करते हुए कहा 'कुर्सी की ढपली पर, धर्म का राग गाते है' और 'जिस थाली में खाना खाते है उसी में
छेद करते है' की प्रस्तुति दी। कवि बंजारा ने पाकिस्तान द्वारा आए दिन सीमाओं पर किए जाने वाले हस्तक्षेप
को लेकर वीर रस में 'सुन रे नवाब, अगर कारगिल पर उंगली उठाई, महावीर की कसम, इस्लामाबाद में
तिरंगा गाड देंगे हम' की प्रस्तुति देकर युवाओं में जोश का संचार किया। मेरठ के हरिओम पंवार ने वातावरण में समां बांधते भारत देश की मौजूदा स्थिति का बखान किया। उन्होंने 'घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने आया हूं, डाकू ने खादी पहनी तो संसद में सम्मान मिला, मदिरा की बदबू आती है, संसद की दीवारों से, पूरा भारत जलियांवाला बाग दिखाई देता है' की प्रस्तुति दी।
सूरत के गोविंद राठी ने हास्य मुक्तक प्रस्तुत किए और श्रोताओं को खूब हंसाया। उन्होंने 'जब कोयल भी बच्चों की समर्थक हो जाती है, तब सारी राग-राग-रागिनियां भी निरर्थक हो जाती है' रचना पेश की। सूत्रधार कवि
अलबेला खत्री ने तंबाकू युक्त गुटखा सेवन करने वाले लोगों को चेतावनी भरे लहजे में सलाह देते हुए फिल्म
किस्मत के गीत 'कजरा ये मोहब्बत वाला' गीत की तर्ज पर 'गुटखा ये पाउच वाला, जिसने भी मुंह में डाला,
ले लेगा सब की जान, कर दो सभी को सावधान' सुनाई और इससे शरीर को होने वाले नुकसान से अवगत
कराया। इस दौरान व्यवस्था समिति के अध्यक्ष महेंद्र कोठारी, महामंत्री सुरेंद्र कोठारी, बाबूलाल कोठारी, महेंद्र
कोठारी अपेक्स, राजेंद्र कोठारी कंपनी आदि मौजूद थे।
राम भरोसे देश चल रहा....
कवि सम्मेलन में मुनि कुमार श्रमण
ने भी अपनी रचना प्रस्तुत करते
हुए देश की वर्तमान स्थिति का
बखान किया। उन्होंने अपनी काव्य
प्रस्तुति में देश की टूटी-फूटी सड़कों,
बेतहाशा तरीके से बढ़ रही महंगाई
और इसमें घी डालने का काम कर
रहा पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्य वृद्धि
पर कटाक्ष किया। मुनि ने 'आओ
बच्चों तुम्हें दिखाए झांकी हिन्दुस्तान
की, राम भरोसे देश चल रहा है, मेरा
देश महान' की प्रस्तुति दी।
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