Jain Terapanth News

खामेमि सव्व जीवे, सव्वे जीवा खमंतु मे मित्ती मे सव्व-भूएसु, वेरं मज्झ न केणइ।।

साधना व अराधना का समय है चातुर्मास:साध्वी विनय श्री

नोहर | धर्म की साधना व अराधना का समय है चातुर्मास। जैन साध्वी विनय श्री ने शुक्रवार को तेरापंथ भवन में अभिनंदन कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा कि चातुर्मास में साधु-साध्वियां एक जगह स्थिर रहकर त्याग तपस्या व स्वाध्याय से अर्जित ज्ञान बांटने का काम करते हैं। धर्म प्रेमी लोग इसका लाभ उठाते अपने आचार-विचार व्यवहार, खाना-पान, चरित्र आदि में परिवर्तन कर आत्म शुद्धि का मार्ग तय करते हैं। जैन धर्म में संस्कार-संस्कृति व सदाचार पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसमें बालकों की चार माह तक ज्ञान शालाएं भी लगाई जाती हैं। साध्वी जग वत्सल, अतुल प्रभा व श्रेयस प्रभा ने भी धर्म की परिभाषा पर विचार रखे। 

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आचार्य श्री महाश्रमण के आगामी कार्यक्रम :


2014 - मर्यादा महोत्सव - गंगाशहर; चातुर्मास - दिल्ली।
2015 - मर्यादा महोत्सव - कानपुर; चातुर्मास - बिराटनगर (नेपाल)।
2016 - चातुर्मास - गुवाहाटी।
2017 - चातुर्मास - कोलकाता।

Future Plan of ACHARYA SHRI's


2014 Chaturmas declared for New Delhi, india
2015 Chaturmas declared for BIRATNAGAR Nepal .
2016 Chaturmas declared for Guwahati Assam, India.
2017 Chaturmas declared for Kolkata India.
Maryada Mahotsava for the year 2012 is declared for Amet, Rajasthan, India.