नोहर | धर्म की साधना व अराधना का समय है चातुर्मास। जैन साध्वी विनय श्री ने शुक्रवार को तेरापंथ भवन में अभिनंदन कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा कि चातुर्मास में साधु-साध्वियां एक जगह स्थिर रहकर त्याग तपस्या व स्वाध्याय से अर्जित ज्ञान बांटने का काम करते हैं। धर्म प्रेमी लोग इसका लाभ उठाते अपने आचार-विचार व्यवहार, खाना-पान, चरित्र आदि में परिवर्तन कर आत्म शुद्धि का मार्ग तय करते हैं। जैन धर्म में संस्कार-संस्कृति व सदाचार पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसमें बालकों की चार माह तक ज्ञान शालाएं भी लगाई जाती हैं। साध्वी जग वत्सल, अतुल प्रभा व श्रेयस प्रभा ने भी धर्म की परिभाषा पर विचार रखे।
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